जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे - अंगारे

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हाथों में अंगारों को लिये सोच रहा था / कोई मुझे अंगारों की तासीर बताये ।

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Saturday, May 5, 2007

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जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे

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जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे।
- राजेश जोशी की एक कविता
जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे
मारे जाएंगे।
कठघरे मे खडे् कर दिए जाएंगे जो विरोध में बोलेंगे
जो सच सच बोलेंगे मारे जाएंगे।
बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज हो
उनकी कमीज से ज्यादा सफेद
कमीज पर जिनके दाग नहीं होंगे मारे जाएंगे।
धकेल दिए जाएंगे कला की दुनिया से बाहर
जो चारण नहीं होंगे
जो गुण नही गाएंगे मारे जाएंगे।
धर्म की ध्वजा उठाने जो नहीं जाएंगे जुलूस में
गलियां भून डालेंगीं उन्हें काफिर करार दिए जाएंगे।
सबसे बडा् अपराध है इस समय में
निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नही होंगेमारेजायेंगे
- राजेश जोशी
मौजूदा दौर के महत्वपूर्ण कवि

3 comments:

सुजाता said...

बहुत सही । एकदम प्रासंगिक कविता !

नीरज दीवान said...

प्रभावकारी रचना.. कड़वा सच सुनने को कोई राज़ी नहीं
कथित धर्मयुद्धों की डंकार और जेहादी तानों के बीच कोई नहीं जो प्रेमराग सुने.

बेहतरीन रचना के लिए आभार .

http://neerajdiwan.wordpress.com

विवेक said...

ज़बर्दस्त...क्या राजेश जी की और कविताएं मिल सकती हैं पढ़ने को?

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