भूख है तो सब्र कर] रोटी नहीं तो क्या हुआ]आजकल दिल्ली में है] जेरे बहस ये मद्दुआ
गिड़गिड़ाने का यहां कोई असर होता नहींपेट भरकर गालियां दो] आह भरकर बद्दुआ।
इस अंगीठी तक गली से कुछ हवा आने तो जब तलक खिलते नहीं] ये कोयले देंगे धुंआ।
इस शहर में वो कोई बारात हो या वारदातअब किसी भी बात पर खुलती नहीं है खिड़कियां
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