खबरिया पार्टी




- विनोद विप्लव


कुछ पार्टी सत्ता में रहती है और कुछ पार्टी खबरों में। दूसरे शब्दों में यूं कह सकते हैं कि कुछ पार्टी सत्ता में बने रहना जानती है और कुछ पार्टी खबरों में बने रहना जानती है जबकि कुछ पार्टी न सत्ता में बने रहना जानती है और न ही खबरों में। पहली वाली पार्टी का जन्म सत्ता में रहने के लिये ही हुआ है। किसी कारण से जब वह सत्ता में नहीं रहती है तो वह उसी तरह से तड़पने लगती है जैसे कि जल बिन मछली। दूसरी वाली पार्टी का जन्म खबरों में बने रहने के लिये हुआ है। सत्ता उसके लिये महत्वपूर्ण नहीं है। सत्ता से बाहर रहना उसके लिये कोई संकट नहीं है। उसे दिक्कत तब होती है जब वह खबरों से बाहर हो जाती है। वह अगर सत्ता में आ भी जाये लेकिन किसी कारण से खबरों से बाहर हो जाये तो उसे बेचैनी होने लगती है और खबरों में वापसी के लिये उसे अपनी सरकार गिराने में भी कोई गुरेज नहीं होता है। जब यह पार्टी सत्ता से बाहर हो और वैसे समय में अगर वह खबरों से भी बाहर हो जाये तो उसके लिये जीना मुहाल हो जाता है और ऐसे में खबरों में फिर से बने रहने के लिये पार्टी के नेताओं को पार्टी तोड़ने में भी कोई संकोच नहीं होता है। दरअसल सत्ता में रहते रहने के कारण पहली वाली पार्टी को सत्ता में बने रहने का और दूसरी वाली पार्टी को खबरों में बने रहने के कारण खबरों में रहने की महारत हासिल है। दूसरी वाली पार्टी सत्ता में हो या नहीं हो, खबरों में केवल वही होती है। इस पार्टी को खबरों में बने रहने की ऐसी विशेषज्ञता हासिल है कि कई बार लगता है कि भारत में अगर कोई पार्टी है तो केवल एकमात्र वही है। इस पार्टी के नेताओं को इस बात का पक्का विश्वास है कि यह पार्टी हमेशा खबरों में ही होगी, चाहे पार्टी रहे या न रहे। इसलिये पार्टी के नेताओं को पार्टी की ऐसी तैसी करने पर कोई मलाल नहीं होता क्योंकि उन्हें पता है कि पार्टी की जितनी भद्द पिटेगी, जितनी फजीहत होगी, पार्टी जितनी टूटेगी और पार्टी में जितनी गाली-गलौच होगी, पार्टी उतनी ही अधिक खबरों में रहेगी जो कि पार्टी और पार्टी नेताओं की मूल जरूरत, बल्कि उनके जीने का आधार है। इस पार्टी के नेताओं को यह भले ही पता नहीं हो कि पार्टी को सत्ता में कैसे लाया जा सकता है या सत्ता में कैसे बनाये रखा जा सकता है लेकिन उन्हें यह भली-भांति पता है कि पार्टी को खबरों में कैसे लाया जा सकता है और खबरों में कैसे बनाये रखा जा सकता है। पार्टी के नेताओं को यह पता होता है कि खबरों में बने रहने के लिये किस महापुरुष पर लिखना चाहिये और किस पर नहीं लिखना चाहिये, किस पर चिंतन करना चाहिये और किस पर मंथन करना चाहिये। कब बैठक और कब उठक-बैठक करनी चाहिये। कब किसके घर जाना चाहिये और कब किसके घर नहीं जाना चाहिये। कब किसको घर से निकालना चाहिये और कब किसके घर से निकलना चाहिये। हमारे देश में लिखने के लिये महापुरूषों की क्या कमी है कि लेकिन पार्टी नेताओं को पता है कि खबरों में रहने के लिये अपने देश के बजाय किसी दूसरे देश के महापुरूश्ष पर लिखना या बोलना चाहिये। हमेशा खबरों में रहने वाली इस पार्टी का देश और जनता के लिये जितना बड़ा योगदान है उतना किसी अन्य पार्टी बल्कि हमेशा सत्ता में रहने वाली पार्टी का भी नहीं है। जनता इसी पार्टी के कारण ही समय-समय पर विभिन्न विषयों के बारे में जागरुक होती रहती है। इस पार्टी का ही कमाल है कि देश के लोगों को पड़ोसी देश के महापुरुषों के बारे में भी इतनी जानकारी हो गयी है कि जितनी जानकारी उन्हें अपने देश के महापुरुषों के बारे में नहीं है। जिन लोगों अपने देश के संस्थापकों के बारे में पता नहीं उन्हें पडोसी देश के संस्थापक के बारे में इतना पता हो गया है जितना पडोसी देश के लोगों को भी पता नहीं है। इसी पार्टी की बदौलत लोगों को कंधार विमान अपहरण और स्विस बैंक से लेकर लोक लेखा समिति (पीएसी) जैसे गंभीर विषयों की जानकारी होने लगी है। आप सोचिये कि अगर यह पार्टी नहीं होती तो न जाने कितने चैनल और न जाने कितने अखबार बंद हो गये होते। न जाने कितने पत्रकार बेरोजगार हो गये होते और न जाने कितने पत्रकारों को अपनी नौकरी बचाने के लिये भुतहा हवेलियों, श्मशान घाटों, कब्रिस्तानों, गड्ढों, और नाग-नागिनों के बिलों में चक्कर लगाने पड़ते।

4 comments:

murar said...

baat sahe ha. koe sata ma rha kar be e kabro ma nhe hotte koe shata k bhar be media ma caya hu ha etnay channalo ka ley massala kha sh aata ha ,par tab bee youya patarkar aaj bee bakar ha koee kaam nhe ha.....? kay ho pata nhe...........???????????????

सुशांत सिंघल said...

विनोद जी, आपके ब्लॉग पर आकर प्रसन्नता हुई। अच्छा व्यंग्य लिखते हैं आप। सिर्फ राजनीति पर ही लिखते हैं या अन्य विषयों पर भी ?
सुशान्त सिंहल
www.thesaharanpur.com
www.sushantsinghal.blogspot.com

syed asadullah said...

great

Randhir Singh Suman said...

nice