मधुबाला - दिलीप कुमार - अंगारे

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Thursday, September 24, 2009

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मधुबाला - दिलीप कुमार

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मधुबाला: दर्द का सफर

पुस्तक अंश

मधुबाला और निम्मी बचपन से ही दोस्त हो गयी थी लेकिन फिल्म अमर के सेट पर निम्मी और मधुबाला में गहरी दोस्ती हो गयी थी। महबूब खान के निर्देशन में बनी अमर (1954) अपने समय की आगे की फिल्म थी .com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhZghxQYfxzju55tjCULin0NUL3cKyXH35TN1q6jPKhDUVUwbCu-I5dVjxJFbwzkzDm6TbYAjiPBj53LSGvwaLUdqt_u1WqeMyJTxxfzXR6iwFSe2ZeSytqiLWlThOUm4UEvOs3t-Ta6OXm/s320/और संभवत इस कारण यह फिल्म काफी दर्शकों को पंसद नहीं आयी लेकिन इस फिल्म में दोनों अभिनेत्रियों के काम की सराहना हुयी। इस फिल्म में मधुबाला ने मीना कुमारी की जगह पर काम किया। मीना कुमारी ने इस फिल्म की 15 दिनों तक शूटिंग करने के बाद महबूब खान से मनमुटाव के कारण इस फिल्म को छोड़ दिया और मधुबाला तथा निम्मी को एक साथ काम करने का मौका मिला।



फिल्म अमर के सेट पर निम्मी और मधुबाला में गहरी दोस्ती हो गयी थी। वे अपने भोजन के साथ-साथ मेकअप रूम और अपने अनुभवों को भी शेयर करती थीं। दोनों इतनी गहरी दोस्त हो गयी कि दोनों के बीच दिलीप कुमार को लेकर भी चर्चाएं होने लगीं जो उस फिल्म में मुख्य अभिनेता की भूमिका निभा रहे थे। दिलीप कुमार को अपना दिल दे चुकी मधुबाला के दिमाग में निम्मी की बातों से थोड़ा संदेह उत्पन्न हुआ। मधुबाला के मन में यह स्वभाविक सवाल उठा, ‘‘निम्मी दिलीप का उतना ही ख्याल क्यों रखती है जितना मैं रखती हूं? यदि ऐसा है तो मुझे क्या करना चाहिए?’’ निम्मी ने बाद में एक साक्षात्कार में बताया, ‘‘एक दिन मधुबाला ने मुझे बुलाकर कहा, ‘‘निम्मी, क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकती हूं? मुझे विश्वास है कि तुम मुझसे झूठ नहीं बोलोगी और मुझसे कुछ नहीं छुपाओगी।’’ जब मैंने उन्हें आश्वस्त किया तो उन्होंने कहा कि अगर तुम दिलीप कुमार के बारे में वैसा ही महसूस करती हो जैसा मैं करती हूं तो मैं तुम्हारी खातिर उनकी जिंदगी से निकल जाउंगी और मैं उन्हें तुम्हारे लिये छोड़ दूंगी।’’जब निम्मी ने यह सुना तो उन्हें बेहद आश्चर्य हुआ और गहरा धक्का लगा। वह मधुबाला को यह कहकर छेड़ने लगी कि हालांकि वह उसकी (मधुबाला की) तरह खूबसूरत नहीं हैे लेकिन वह दान में पति नहीं चाहती है।’’



निम्मी ने बताया, ‘‘मैंने उसे सलाह दी कि वह वह अपने मूल्यवान विचार अपने पास ही रखे और आगे किसी को भी इस तरह का आॅफर न दे क्योंकि हो सकता है कि किसी को उनका विचार पसंद आ जाए और वह स्वीकार भी कर ले।........’’



निम्मी बताती है कि मधुबाला जितनी नेक थी, उतनी ही प्यारी भी थी। जब उनकी मृत्यु हुई तो मैं दिल से रोई।एक के बाद एक सभी चली गईं- गीता बाली, नरगिस, नूतन, मीना कुमारी। अब अब मधुबाला’’
साची प्रकाशन से शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक ‘‘मधुबाला: दर्द का सफर’’ से सभार।

1 comment:

नीरज गोस्वामी said...

इस पुस्तक का बेताबी से इंतज़ार रहेगा...किसने लिखा है इसे...??
नीरज

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