दिलीप कुमार के लेबल को कोई छू नहीं सकता - राजकपूर


सन 1982 की सर्दी की एक रात। पाली हिल के एक बंगले में आधी रात के बाद टेलीफोन की घंटी घनघना उठी। उनींदी की अवस्था में एक व्यक्ति ने रिसीवर उठाया। दूसरी ओर से आवाज आई, मैं राज। अभी तेरी फिल्म शक्ति देखी, लाले.. बस हो गया फैसला कि इस देश में केवल एक ही दिलीप कुमार है। उसके लेवॅल को कोई छू नहीं सकता!

राज का मतलब था राज कपूर। हिंदी फिल्मों के मशहूर ऐक्टर, डायरेक्टर और फिल्म-मेकर राज कपूर..। हिंदी फिल्मों के सबसे बड़े शो मैन आर के प्रशंसा कर रहे थे और फोन रिसीव करने वाला व्यक्ति और कोई नहीं, खुद अभिनय के अजीम शहंशाह दिलीप कुमार थे। कहते हैं, फिल्म प्रेम रोग की शूटिंग के दौरान एक दृश्य में ऋषि कपूर के अभिनय से राज कपूर संतुष्ट नहीं हो रहे थे। ऋषि भी बार-बार की रिटेक से थक गए थे। दरअसल, उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि पिता को कैसे संतुष्ट करें! उधर राज कपूर भी बेचैन थे। आखिरकार कैमरे के पीछे से चीखते हुए उन्होंने कहा, चिंटू, मुझे इस दृश्य में यूसुफ चाहिए। एक बार तो चिंटू की समझ में नहीं आया। उन्होंने सवालिया निगाहों से पिता की ओर देखा, तो राज कपूर ने समझाया, बेटा, इस दृश्य में यूसुफ साहब जैसा एक्सप्रेशन चाहिए।

अभिनय जगत में दिलीप कुमार-राज कपूर और देव आनंद की त्रयी पॉपुलर थी। इनमें से एक देव आनंद ने 1994 में कहा था, दिलीप कुमार ने ऐक्टिंग की ऊंचाइयां छू ली हैं। देखें, तो ये तीनों अभिनेता एक-दूसरे की इज्जत और कद्र करना जानते थे और मौका मिलने पर दूसरे की तारीफ करने से नहीं चूकते थे। सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने दिलीप साहब को दादा साहेब फालके पुरस्कार मिलने के समय लिखा था, उत्तम नहीं, सर्वोत्तम हैं दिलीप कुमार। बिग बी हमेशा उनकी तारीफ करते हैं। एक बार उन्होंने यहां तक कहा, अगर कोई ऐक्टर यह कह रहा है कि वह दिलीप कुमार से प्रभावित नहीं है, तो वह सफेद झूठ बोल रहा है। अमिताभ बच्चन आमतौर पर रिटेक नहीं देते थे, लेकिन शक्ति के सेट पर कई रिटेक हुए। शूटिंग के आरंभ में शूट किए गए वे दृश्य फिल्म के क्लाइमेक्स में इस्तेमाल किए गए थे। उस दृश्य में दिलीप कुमार भाग रहे अमिताभ बच्चन का पीछा करते हैं। दृश्य में अमिताभ बच्चन को पलटकर दिलीप कुमार की आंखों में देखना था और फिर दौड़ना था। अमिताभ बच्चन ने इस बारे में लिखा है, दिलीप साहब की आंखों में देखने के बाद मैं अगला ऐक्शन भूल गया और फिर अनेक रिटेक हुए। दिलीप साहब के अभिनय की सबसे बड़ी खूबी है कि वे दृश्य में मौजूद सभी कलाकारों से रिश्ता बनाते हैं और रिटेक भी हो सकता है, इसलिए पुरानी ऊर्जा तब तक बरकरार रखते हैं, जब तक सीन ओके नहीं हो जाता। सामने वाले ऐक्टर की मदद भी करते हैं। सन 2005 में कमल हासन ने स्वीकार किया था, मैं अपने आदर्श दिलीप कुमार को बताना चाहता हूं कि वे महान ऐक्टर हैं। मैंने बहुत पहले उनके पास गंगा जमुना का पोस्टर ऑटोग्राफ के लिए भेजा था। राज कुमार और दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म सौदागर फिल्मी दर्शकों को जरूर याद होगी। इसमें सुभाष घई ने जब दिलीप कुमार के साथ राज कुमार को लेने की बात सोची, तो उन्हें लोगों ने मना किया। उन्हें सावधान किया गया कि फिल्म कभी पूरी नहीं हो पाएगी! घई ने तब राज कुमार से पूछा, क्या उन्हें दिलीप कुमार के साथ काम करने में कोई दिक्कत या परेशानी है? राज कुमार ने पलटकर पूछा था, कैसी परेशानी, जॉनी..? उनसे कैसी दिक्कत, वे तो मेरे प्रेरणा स्रोत हैं।

आज के स्टार आमिर खान भी दिलीप साहब की तारीफ करते नहीं थकते। ठीक है कि दिलीप कुमार भी मनुष्य हैं और बाकी मनुष्यों की तरह वे भी नश्वर हैं, लेकिन ऐक्टर दिलीप कुमार तो अमर हैं। बरस, दशक और सदियों बाद भी वे हर नए ऐक्टर के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे और नई प्रतिभाएं उनकी फिल्में देखकर सीखती रहेंगी।

साभार - एक वेबसाइट से साभार

2 comments:

chavannichap said...
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chavannichap said...

bhai,agar blog ka naam le lenge to chavanni bura nahin manega.yah udhar raha aap par...