वरूण से ज्यादा पाकिस्तान को बेचा खबरिया चैनलों ने
इस बात में कोई शक नहीं कि खबरिया चैनल विज्ञापन और टीआरपी बटोरने के लिये किसी को भी बेच सकते हैं। केवल उन्हें इस बात का आभास होना चाहिये कि कौन सा विषय सबसे अधिक बिक सकता है। उन्हें लगता है कि जिससे लोगों में आतंक, भय और सनसनी पैदा हो वह ज्यादा बिकता हैं। टेलीजिवन चैनल लोगों में डर और आतंक पैदा करने में इतने माहिर है कि किसी से भी भय पैदा कर सकते हैं। अपने इस फन को मुजाहिरा उन्होंने कई बार किया है। ये चैनल बारिश अधिक हो जाये तो धरती के जलमग्न होने की, ठंड अधिक हो जाये तो हिम युग लौटने की और वैज्ञानिक अगर कोई प्रयोग करने लगें तो धरती के महाविनाश होने की भविष्यवाणी करके लोगों को आतंकित कर देते हैं। आतंकवादियों ने मुंबई पर हमले करके और कई बेगुनाहों की हत्या करके देश में जितना आतंक फैलाया था, उससे कई गुना अधिक आतंक खबरिया चैनल अब भी फैला रहे हैं और आगे भी फैलाते रहेेंगे। लेकिन आतंक फैलाने का खबरिया चैनलों का उद्देश्य लोगों को अगाह करना या उन्हें सर्तक बनाना नहीं बल्कि आतंक को बेचना है। खबरिया चैनलों की नजर में आंतकवाद खबरों के बाजार में मंहगा बिकता है इसलिये वे अपनी हर खबर से आतंक पैदा करने की कोशिश में लगे रहते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा आतंक पैदा हो और ज्यादा से ज्यादा कमाई हो। अधिक कमाई के खेल में इन चैनलों ने पाकिस्तान से जुड़ी उन्होंने हर खबरों को बेचा। जनपथ पर उतरे हुये कपड़े बेचने वालों की तरह खबरिया चैनलों के पत्रकारों और एंकरों ने पाकिस्तान से जुड़ी ऐसी-ऐसी खबरों को गला फाड़ कर बेचा जिन्हें कई समाचार पत्र आज तक खबर ही नाम मान पाये इन खबरों को एक पैरे की भी जगह देने लायक नहीं समझ पाये। ये चैनल रोज ब रोज विनाश की कगार पर बैठा है पाकिस्तान, टूट जायेगा पाकिस्तान, बर्बाद हो जायेगा पाकिस्तान, बारूद की ढेर पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान की राह पर पाकिस्तान जैसी घोषणायें रोज करते रहे, लेकिन इन घोषणाओं के पीछे की सच्चाई क्या थी सबको पता हैं।
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कभी कभी सोचता हूँ कि आज की दुनिया में रिमोट न होता तो क्या होता.
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